83 साल की उम्र में एक ऐसी शख्सियत ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया, जिनकी मौजूदगी पर्दे पर हमेशा सजीव लगती थी. साउथ फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर एक्टर और राजनीति में भी सक्रिय कोटा श्रीनिवास राव का निधन हो गया है. उनके जाने की खबर जैसे ही सामने आई, पूरी इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई. नॉर्थ इंडिया में भले ही उनका नाम कम सुना गया हो, लेकिन उनकी शक्ल और अभिनय की गहराई से हर दर्शक परिचित है.
10 जुलाई 1942 को आंध्र प्रदेश के कनकीपाड़ू गांव में जन्मे श्रीनिवास का बचपन एक डॉक्टर बनने के ख्वाब के साथ शुरू हुआ. लेकिन कॉलेज के नाटकों ने उनके भीतर के कलाकार को जगा दिया. बैंक की नौकरी करने के बावजूद, उनका दिल मंच पर ही बसता रहा. 36 साल की उम्र में जब ज्यादतर लोग अपना करियर सेट कर चुके होते हैं, तब उन्होंने फिल्म 'प्रणाम खरेड्डू' से सिनेमा में कदम रखा – और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.
कोटा श्रीनिवास राव ने लगभग पांच दशकों तक फिल्मों में न सिर्फ काम किया बल्कि हर रोल में जान फूंक दी. उन्होंने तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और हिंदी सिनेमा में 750 से भी ज्यादा फिल्मों में अभिनय किया. 'छत्रपति', 'गायम', 'हैलो ब्रदर', 'रक्त चरित्र' और 'लीडर' जैसी फिल्मों में उनका योगदान अमूल्य रहा. इंडस्ट्री के दिग्गजों – चिरंजीवी से लेकर एसएस राजामौली – सभी ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है.
श्रीनिवास ने हिंदी सिनेमा में भी असरदार भूमिकाएं निभाईं. 'सरकार' में अमिताभ बच्चन के सामने खड़े होकर उन्होंने खलनायक का जो किरदार निभाया, वह आज भी याद किया जाता है. 'डार्लिंग', 'प्रतिघात', 'लक', और 'बागी' जैसी फिल्मों में भी उनकी उपस्थिति ने हर बार कुछ अलग पेश किया.
कोटा श्रीनिवास राव लंबे समय से बीमार थे और हैदराबाद के जुबली हिल्स स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. दुख की बात ये रही कि निधन से ठीक तीन दिन पहले ही उन्होंने अपना 83वां जन्मदिन मनाया था. उनके निधन से न सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी एक बड़ी रिक्तता पैदा हो गई है.
फैंस के लिए यह राहत की बात है कि कोटा श्रीनिवास राव आखिरी बार पवन कल्याण की फिल्म ‘हरि हीरा मल्लू’ में दिखाई देंगे. यह फिल्म अब एक श्रद्धांजलि बन चुकी है, जिसमें उनका किरदार दर्शकों की आंखें नम कर देगा.