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तमिल से हिंदी तक तहलका मचाने वाली 'कन्नड़ की कोयल' चली गईं: बी सरोजा देवी की आखिरी कहानी!

भारतीय फिल्म जगत की दिग्गज अभिनेत्री और साउथ इंडियन सिनेमा की शान बी सरोजा देवी का आज 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने न केवल तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में अपनी अदाकारी से दर्शकों के दिलों पर राज किया,

👤 Golu Dwivedi 14 Jul 2025 12:37 PM

भारतीय फिल्म जगत की दिग्गज अभिनेत्री और साउथ इंडियन सिनेमा की शान बी सरोजा देवी का आज 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने न केवल तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और हिंदी फिल्मों में अपनी अदाकारी से दर्शकों के दिलों पर राज किया, बल्कि भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग को भी आकार दिया। उनके निधन से न केवल फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है, बल्कि सिनेमा प्रेमियों के लिए यह एक अपूरणीय क्षति है।

बी सरोजा देवी को उनकी सौम्यता, भावनात्मक गहराई और बहुआयामी अभिनय के लिए जाना जाता था। 1950 और 60 के दशक में जब फिल्म उद्योग में पुरुष सितारे छाए रहते थे, तब उन्होंने अपने अभिनय से एक नई मिसाल कायम की और खुद को एक अखिल भारतीय स्टार के रूप में स्थापित किया।

चार दशक लंबा करियर, 161 फिल्मों की विरासत

बी सरोजा देवी का फिल्मी करियर चार दशकों से भी ज्यादा लंबा रहा, जिसमें उन्होंने कुल 161 फिल्मों में काम किया। तमिल, कन्नड़, तेलुगु और हिंदी सिनेमा में उनकी सक्रियता ने उन्हें एक पैन-इंडियन सुपरस्टार बना दिया। उन्होंने ‘महाकवि कालिदास’ (1955) से बतौर अभिनेत्री डेब्यू किया था, और यहीं से उनका शानदार सफर शुरू हुआ।

MGR, शिवाजी गणेशन और राजकुमार के साथ अमर जोड़ी

सरोजा देवी ने अपने करियर में एम जी रामचंद्रन (MGR) के साथ 26, शिवाजी गणेशन के साथ 22 और जेमिनी गणेशन के साथ 17 फिल्मों में काम किया। MGR संग उनकी जोड़ी फिल्म ‘नादोड़ी मन्नन’ (1958), ‘थाई सोलाई थट्टाधे’ (1961) और ‘पदगोटी’ (1964) जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में खूब सराही गई। वहीं शिवाजी गणेशन के साथ ‘थंगमलाई रगसियम’ (1957) और ‘आलायमणि’ (1962) जैसी फिल्मों में उनके दमदार अभिनय को आज भी याद किया जाता है।

हिंदी और तेलुगु सिनेमा में भी थी मजबूत मौजूदगी

बी सरोजा देवी ने हिंदी फिल्म ‘बेटी बेटे’ (1964) में सुनील दत्त के साथ स्क्रीन साझा की, जबकि ‘सीताराम कल्याणम’ (1961) में एन टी रामाराव के साथ नजर आईं। कन्नड़ फिल्म ‘मथ्यमनन पवाडा’ में डॉ. राजकुमार के साथ उनकी जोड़ी को भी खूब सराहा गया। उन्होंने दिलीप कुमार, शम्मी कपूर जैसे बॉलीवुड दिग्गजों के साथ भी काम किया।

अभिनय में काव्यात्मकता, ‘कन्नड़थु पैंगिली’ के नाम से थीं मशहूर

बी सरोजा देवी को ‘अभिनय सरस्वती’ और ‘कन्नड़थु पैंगिली’ (कन्नड़ की तोता) के नाम से जाना जाता था। उनका अभिनय सिर्फ प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक कविता की तरह था, जो दर्शकों के दिलों में उतर जाती थी।

सम्मान और पद्म पुरस्कारों से नवाज़ा गया

बी सरोजा देवी को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए दो पद्म पुरस्कार मिले। उन्होंने दो बार (1998 और 2005) राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की जूरी सदस्य के रूप में भी कार्य किया। यह उनके अनुभव और प्रतिष्ठा का प्रमाण है।

विदाई एक दिग्गज को, जिसकी चमक हमेशा जीवित रहेगी

बी सरोजा देवी के निधन के साथ भारतीय सिनेमा ने अपनी एक सबसे चमकदार और प्रतिभाशाली नायिका को खो दिया है। उन्होंने उस दौर में नायिकाओं के लिए नई राहें खोलीं जब अभिनय की दुनिया पर पुरुषों का वर्चस्व था। उनका योगदान भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।