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Chhath Puja 2025: सूर्य देव और छठी मैया की उपासना से खुलेंगे सुख-समृद्धि के द्वार, जरूर करें ये आरती

Chhathi Maiya Ki Aarti : छठ पूजा 2025 का आज दूसरा तीसरा है. जानिए इस पावन पर्व के चारों दिन की परंपराएं, पूजा विधि, और पढ़ें छठी मैया की आरती के बोल. सूर्य देव की उपासना से जुड़ा यह पर्व लोक आस्था का प्रतीक है.

👤 Samachaar Desk 27 Oct 2025 07:30 PM

Chhath Puja 2025: छठ पूजा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि शुद्धता, समर्पण और प्रकृति के प्रति आभार का प्रतीक है. यह पर्व सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया को समर्पित है. मान्यता है कि छठी मैया संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का वरदान देती हैं.

यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में अत्यंत श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. पूजा के दौरान साफसफाई और व्रतियों की तपस्या का खास ध्यान रखा जाता है.

पहला दिन: नहायखाय से होती है शुरुआत

पर्व का पहला दिन नहायखाय कहलाता है. इस दिन व्रती (व्रत करने वाले) नदी या तालाब में स्नान करके शुद्ध भोजन करते हैं. आमतौर पर इस दिन लौकीभात और चना दाल का प्रसाद बनाया जाता है. माना जाता है कि इस शुद्ध भोजन से शरीर और मन दोनों पवित्र होते हैं.

दूसरा दिन: खरना का महत्व

छठ पूजा का दूसरा दिन खरना कहलाता है. इस दिन व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और केला का प्रसाद बनाकर व्रत खोलते हैं. खरना के प्रसाद को परिवार और आसपास के लोगों में बांटा जाता है. इससे सामाजिक एकता और प्रेम की भावना को बल मिलता है.

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

तीसरे दिन श्रद्धालु अस्त होते सूर्य को संध्या अर्घ्य देते हैं. भक्तजन नदी, तालाब या किसी जलाशय में खड़े होकर सूर्य देव को दूध और जल से अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस दिन घाटों पर भक्ति गीत, पूजा और दीपों की रोशनी से अद्भुत दृश्य बन जाता है.

चौथा दिन: उषा अर्घ्य और पर्व का समापन

पर्व का चौथा और अंतिम दिन उषा अर्घ्य का होता है. इस दिन व्रती सुबहसुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार की सुखसमृद्धि और समाज की भलाई की प्रार्थना करते हैं. इस अर्घ्य के साथ ही छठ व्रत का समापन होता है.

छठी मैया की आरती

"छठ पूजा के अवसर पर छठी मैया की आरती गाना शुभ माना जाता है. इस आरती में लोकभक्ति और मातृत्व की भावना झलकती है

जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए.

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए..

जय छठी मैया…

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदिति होई ना सहाय.

ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए..

जय छठी मैया…

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए.

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय..

जय छठी मैया…

अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडरराए.

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए..

जय छठी मैया…

ऊ जे सुहनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय.

शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए..

जय छठी मैया…

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए.

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय..

जय छठी मैया…

ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए.

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए..

जय छठी मैया…

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय.

सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए..

जय छठी मैया…

मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए.

ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय..

जय छठी मैया…"