Logo

प्रशांत किशोर का बड़ा यू-टर्न! जेडीयू की 85 सीटें जीतते ही बदला बयान, अब बोले ‘मैं किस पद से इस्तीफा दूं?’

Prashant Kishor: बिहार चुनाव में जेडीयू की भारी जीत के बाद प्रशांत किशोर ने राजनीति छोड़ने वाले अपने बयान से पलटी मारी. पीके ने कहा कि वे किसी पद पर ही नहीं थे, जिससे इस्तीफा दें. जानें पूरा विवाद और जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन.

👤 Samachaar Desk 18 Nov 2025 01:10 PM

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आते ही राजनीतिक गलियारों में सबसे ज्यादा चर्चा जिस बयान को लेकर हो रही है, वह है जन सुराज पार्टी (जेएसपी) के प्रमुख और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का. चुनाव से पहले उन्होंने दावा किया था कि अगर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 25 से ज्यादा सीटें जीत गई, तो वे राजनीति छोड़ देंगे. नतीजों में जेडीयू को 85 सीटें मिलीं और जन सुराज पार्टी का खाता भी नहीं खुला. ऐसे में सबकी नज़रें प्रशांत किशोर पर टिक गईं, क्या वे राजनीति छोड़ेंगे? क्या वे बिहार छोड़ेंगे? लेकिन पीके ने पहला ही बयान आते ही माहौल बदल दिया.

“मैं किस पद से इस्तीफा दूं?” PK का जवाब

चुनावी नतीजों के बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वे जन सुराज पार्टी में किसी पद पर हैं ही नहीं, तो इस्तीफा किस बात का? उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा था कि वे बिहार छोड़ देंगे, “मैं यहीं रहूंगा, यहीं घूमूंगा और बिहार के लोगों के बीच ही रहूंगा. उनके इस बयान को साफ तौर पर चुनावी वादे से पलटने के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन पीके ने इसे शब्दों का भ्रम बताया.

जेडीयू को वोट क्यों मिले? PK का आरोप

प्रशांत किशोर ने चुनाव परिणामों की वजह बताते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जीविका समूह की महिलाओं को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 10,000 रुपये नकद देना ही जेडीयू की जीत का आधार था. उनके मुताबिक, “पैसे देकर वोट खरीदे गए. यह चुनावी जीत नहीं, पैसे की ताकत है.”

उन्होंने आगे चुनौती देते हुए कहा कि अगर आगे चलकर सरकार योजना के नियमों के अनुसार उन्हीं महिलाओं को 2-2 लाख रुपये स्वरोजगार के लिए दे देती है, तो वे राजनीति ही नहीं, बल्कि बिहार भी छोड़ देंगे.

जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन, एक खास आंकड़ा

भले ही जन सुराज पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन वोट शेयर और कुल वोटों के लिहाज से उसने कुछ स्थापित दलों से बेहतर प्रदर्शन किया. जन सुराज ने 238 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 236 उम्मीदवारों की जमानत ज़ब्त हो गई. इसके बावजूद पार्टी को मायावती की बीएसपी, आईआईपी, सीपीएम या ओवैसी की एआईएमआईएम से ज़्यादा वोट मिले. यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि जन सुराज पार्टी लगभग सभी सीटों पर मैदान में उतरी.

कैंडिडेट्स की स्थिति भी दिलचस्प रही

  • 1 सीट पर दूसरे स्थान पर
  • 129 सीटों पर तीसरे स्थान पर
  • 73 सीटों पर चौथे स्थान पर
  • 23 सीटों पर पांचवें 8 सीटों पर छठे
  • और बाकी सीटों पर उसके उम्मीदवार और पीछे रहे

यह आंकड़ा दिखाता है कि जन सुराज पार्टी ने कई क्षेत्रों में उपस्थिति दर्ज कराई, भले ही उसे जीत नहीं मिली.

अर्श या फर्श, PK की चुनौती का नतीजा

चुनाव से पहले पीके कहा करते थे कि जन सुराज या तो अर्श पर होगी या फर्श पर. नतीजों में पार्टी फर्श पर ही रह गई. जेडीयू को लेकर उनका दावा उल्टा पड़ गया और अब उनके यू-टर्न ने राजनीतिक चर्चा को और गर्म कर दिया है.

बिहार की राजनीति पहले ही अप्रत्याशित मोड़ों से भरी रहती है. ऐसे में प्रशांत किशोर के नए बयान आने वाले दिनों में और हलचल पैदा करेंगे यह तय है.