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बुजुर्गों की ये कहावत अब डॉक्टर भी मानते हैं सही – जानिए क्यों खाना खाते वक्त पानी पीना हो सकता है खतरनाक!

"खाने के पहले पानी पीने वाला योगी, साथ पीने वाला भोगी और बाद में पीने वाला रोगी" — ये कहावत सिर्फ कहने भर की नहीं, बल्कि सेहत से जुड़ा गहरा राज छुपाए बैठी है. लेकिन क्या आप जानते हैं इसका असली मतलब और आपकी सेहत पर इसका असर? जवाब हैरान कर सकता है!

👤 Samachaar Desk 12 Jun 2025 08:46 AM

“खाने के पहले पानी पीने वाला योगी, खाने के साथ भोगी और खाने के बाद रोगी” — यह कहावत आपने कई बार सुनी होगी, लेकिन क्या कभी इसके पीछे की वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक सोच को समझा है?

दरअसल, हमारी दादी-नानी या बुजुर्ग ऐसी कहावतों के जरिए हमें एक गहरी लाइफस्टाइल से जुड़ी सीख देते हैं. इस कहावत का सीधा संबंध हमारे पाचन तंत्र और लाइफस्टाइल से है. इस विषय पर हमने शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. श्रेय श्रीवास्तव से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि ये कहावत भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति, खासकर आयुर्वेद, से गहराई से जुड़ी है.

डॉ. श्रीवास्तव बताते हैं कि भोजन से पहले पानी पीना पाचन अग्नि (Digestive Fire) को सक्रिय करता है, जिससे खाना बेहतर तरीके से पचता है. ये आदत वजन नियंत्रण में भी मदद कर सकती है क्योंकि इससे पेट पहले से थोड़ा भर जाता है और हम ओवरईटिंग से बच जाते हैं.

“खाने के साथ पानी पीने वाला भोगी”

भोजन करते समय पानी पीने से पेट में मौजूद एंजाइम्स और पाचक रस पतले हो जाते हैं. इसका असर ये होता है कि भोजन धीमी गति से पचता है और कभी-कभी अधपचा रह जाता है.

भोगी शब्द का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि ऐसा व्यक्ति तात्कालिक सुख को प्राथमिकता देता हैस्वाद- के लिए आदतें बदलता है, चाहे वो शरीर को नुकसान क्यों न पहुंचाएं.

“खाने के बाद पानी पीने वाला रोगी”

डॉ. श्रेय के अनुसार, खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से पेट में एसिड और पित्त का संतुलन बिगड़ सकता है. इसका परिणाम होता है गैस, अपचन, सूजन और लंबे समय में मोटापा जैसी समस्याएं.

इसीलिए इस आदत को “रोगी” से जोड़ा गया है- यानी बीमारियों को न्योता देने वाली आदत.

क्या है सही तरीका पानी पीने का?

भोजन से 30 मिनट पहले पानी पीना फायदेमंद है. भोजन के दौरान कम मात्रा में, केवल जरूरत पड़ने पर घूंट-घूंट पीना चाहिए. खाने के बाद पानी पीने में कम से कम 30–45 मिनट का अंतर रखें.

निष्कर्ष: कहावत में छिपा है सेहत का विज्ञान

ये प्राचीन कहावत केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि हमारे शरीर के काम करने के तरीके को ध्यान में रखते हुए बनी है. अगर हम पानी पीने की सही टाइमिंग को समझें और अपनाएं, तो न सिर्फ पाचन दुरुस्त रहेगा, बल्कि जीवन भी अधिक संतुलित और रोगमुक्त होगा.