विटामिन D, जिसे अक्सर 'सनशाइन विटामिन' कहा जाता है, हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक पोषक तत्वों में से एक है। यह हड्डियों को मजबूत बनाने, इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखने और कैल्शियम के अवशोषण में अहम भूमिका निभाता है। परंतु हाल के वर्षों में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने इस जीवनदायिनी विटामिन के प्राकृतिक स्रोत—सूरज की रोशनी—को ही बाधित करना शुरू कर दिया है।
शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सूरज की किरणें तो मिलती हैं, लेकिन वे शुद्ध रूप में शरीर तक नहीं पहुंच पातीं। इसका कारण है वायुमंडल में मौजूद सूक्ष्म धूल कण, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और अन्य जहरीली गैसें जो सूरज की UV-B किरणों को त्वचा तक पहुंचने से रोकती हैं। UV-B किरणें ही शरीर में विटामिन D के निर्माण की प्रक्रिया को शुरू करती हैं। जब ये किरणें पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलतीं, तो शरीर में विटामिन D की कमी हो जाती है।
विटामिन D की कमी से शरीर में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बच्चों में यह रिकेट्स (हड्डियों का विकृत होना) का कारण बन सकता है, वहीं वयस्कों में ऑस्टियोपोरोसिस और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं देखी जाती हैं। इसके अलावा, इम्यून सिस्टम कमजोर होने से बार-बार बीमार पड़ना, थकावट रहना और मांसपेशियों में कमजोरी जैसे लक्षण भी सामने आते हैं।
वायु प्रदूषण केवल विटामिन D के अवशोषण को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि यह त्वचा और श्वसन तंत्र पर भी बुरा असर डालता है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में अधिकांश शहरी आबादी विटामिन D की कमी से जूझ रही है, और इसका एक बड़ा कारण वायु प्रदूषण है। यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब लोग घरों के अंदर ही सीमित रहते हैं, या सूरज की रोशनी से बचने के लिए अधिकतर समय छांव में बिताते हैं।
इस समस्या से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं: