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F-35 डील रद्द! जानें क्यों स्पेन, स्विट्जरलैंड और भारत ने किया अमेरिका को ‘NO’

अमेरिका के F-35 विमान को यूरोप और भारत ने बड़ा झटका दिया है. स्पेन और स्विट्जरलैंड ने यूरोफाइटर और FCAS पर भरोसा जताया, जबकि भारत ने फ्रांस के साथ 5वीं पीढ़ी का इंजन बनाने का फैसला किया.

👤 Samachaar Desk 24 Aug 2025 11:10 AM

अमेरिका के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान F-35 को लेकर दुनिया में विरोध तेज़ हो गया है. भारत के बाद अब यूरोप के दो अहम देशों, स्पेन और स्विट्जरलैंड, ने भी इस विमान को खरीदने से साफ इनकार कर दिया है. यह फैसला अमेरिका के लिए सिर्फ आर्थिक झटका नहीं बल्कि रणनीतिक चुनौती भी है.

स्पेन का चौंकाने वाला फैसला

स्पेन ने पहले योजना बनाई थी कि वह अपनी नौसेना के Juan Carlos I एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए F-35B खरीदेगा. लेकिन अचानक उसने यह डील रद्द कर दी. इसके बजाय उसने 25 नए यूरोफाइटर टाइफून खरीदने और यूरोप के महत्वाकांक्षी Future Combat Air System (FCAS) प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया. हालांकि अगले दशक तक स्पेन के पास वास्तविक 5वीं पीढ़ी का विमान नहीं होगा, लेकिन यह कदम घरेलू उद्योग, रोजगार और तकनीकी क्षमता को मज़बूत करने के लिहाज से बड़ा साबित होगा.

स्विट्जरलैंड में बढ़ता असंतोष

स्विट्जरलैंड ने 2022 में जनमत संग्रह कर 36 F-35 विमानों की खरीद मंजूर की थी, लेकिन इसके बाद हालात बदले. कीमतों में अचानक बढ़ोतरी और अमेरिका द्वारा स्विस निर्यात पर नए टैरिफ ने इस डील को संदेह के घेरे में ला दिया. अब स्विस संसद और कई नेताओं की मांग है कि या तो डील को कम किया जाए या फिर पूरी तरह रद्द कर दिया जाए.

क्यों बढ़ी यूरोप की नाराज़गी?

यूरोप में चिंता सिर्फ F-35 की कीमत को लेकर नहीं है. असली मुद्दा है अमेरिका का सस्टेनमेंट मोनोपोली यानी भविष्य के सभी अपग्रेड, सॉफ़्टवेयर और ऑपरेशनल डेटा पर अमेरिकी नियंत्रण. इस स्थिति को यूरोप रणनीतिक खतरे के रूप में देख रहा है, क्योंकि इससे उनकी रक्षा नीतियां अमेरिकी दबाव में आ सकती हैं.

यूरोपीय विकल्पों की ताकत

यूरोफाइटर टाइफून अभी भी एक सक्षम और मल्टी-रोल फाइटर है, जो यूरोपीय नियंत्रण में है. वहीं FCAS छठी पीढ़ी की क्षमताओं के साथ भविष्य का गेम-चेंजर साबित हो सकता है, स्टेल्थ, मानव-मानवरहित टीमिंग और क्लाउड-आधारित कमांड जैसी सुविधाओं के साथ.

भारत का भी अमेरिकी इंजन से इंकार

इसी बीच भारत ने भी अमेरिका को झटका दिया है. भारत ने फ्रांस की Safran कंपनी के साथ मिलकर स्वदेशी 120 KN इंजन बनाने का निर्णय लिया है. यह प्रोजेक्ट भारत के 5वीं पीढ़ी के स्टेल्थ फाइटर जेट्स को ताकत देगा और रणनीतिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करेगा. इससे भारत-फ्रांस साझेदारी मज़बूत होगी, जबकि अमेरिका की उम्मीदें ध्वस्त होंगी.

स्पेन, स्विट्जरलैंड और भारत के ये फैसले एक बड़ा संदेश देते हैं केवल तकनीकी श्रेष्ठता ही काफी नहीं है. रणनीतिक आज़ादी और औद्योगिक आत्मनिर्भरता कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है. अमेरिका का F-35 अब सिर्फ विमान नहीं, बल्कि भरोसे और नियंत्रण की लड़ाई का प्रतीक बन गया है.