उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर धार्मिक रूपांतरण के पीछे कथित मास्टरमाइंड छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन का पर्दाफाश हुआ है. जांच एजेंसियों के अनुसार, छांगुर बाबा खुद को RSS से जुड़ी संस्था का वरिष्ठ पदाधिकारी बताकर सरकारी अधिकारियों और नेताओं से मेलजोल करता था. यही नहीं, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो वाला लेटरहेड भी इस्तेमाल करता था ताकि उसकी संस्था 'भारत प्रतिकार्थ सेवा संघ' को आरएसएस से जुड़ा साबित किया जा सके.
इस जालसाजी की नींव रखी थी ईदुल इस्लाम नाम के एक अन्य आरोपी ने, जिसने न सिर्फ संस्था की स्थापना की, बल्कि नागपुर जो खुद आरएसएस का मुख्यालय है में उसका फर्जी केंद्र भी खोल डाला ताकि संस्था की साख बनाई जा सके.
जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा और ईदुल इस्लाम सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं से मिलने के दौरान लगातार आरएसएस के बड़े पदाधिकारियों के नामों का उल्लेख करते थे. इसका मकसद खुद को एक राष्ट्रवादी संगठन से जुड़ा दिखाकर धार्मिक एजेंडा छिपाना था.
छांगुर बाबा को 'भारत प्रतिकार्थ सेवा संघ' का अवध क्षेत्र का महासचिव बनाया गया था। यह संस्था आरएसएस से जुड़ी नहीं थी, लेकिन उसका नाम और प्रचार-प्रसार इस तरह किया गया कि लोग इसे आरएसएस समर्थित मान लें. इस फर्जीवाड़े का ताना-बाना ईदुल इस्लाम ने बुन रखा था. छांगुर बाबा पर आरोप है कि वह गरीब परिवारों की नाबालिग बच्चियों को टारगेट करता था और उन्हें धर्मांतरण के लिए मजबूर करता था.
वहीं बता दें कि लगातार छांगुर बाबा के लेकर कार्रवाई की जा रही है और बीते दिन ईडी 14 स्थानों पर छापेमारी की थी. इतना ही नहीं छांगुर बाबा के धर्मांतरण का रैकेट करीब- करीब हर राज्यों में फैला हुआ है और इस पर कार्रवाई की जा रही है. वहीं छांगुर बाबा की ओर हाल ही के दिनों बयान आया था कि वह निर्दोष है.
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