पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने रविवार दोपहर गुरुद्वारा कतलगढ़ साहिब, चमकौर साहिब में धार्मिक श्रद्धा के तहत अरदास की. मुख्यमंत्री का यह दौरा पूरी तरह धार्मिक था और इसमें किसी भी तरह की आधिकारिक मुलाकात या कार्यक्रम शामिल नहीं था. उन्होंने दोपहर करीब 2 बजे गुरुद्वारे में हाजिरी दी और लगभग 40 मिनट तक वहां रुके.
मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह पंजाब और इसके लोगों की खुशहाली के लिए अरदास करने आए हैं. उन्होंने गुरुद्वारे में मत्था टेकते हुए कहा, 'जो करन गे सो भरन गे', यानी 'हर किसी को अपने कर्मों का फल भुगतना ही पड़ेगा'.
हाल ही में भाजपा में शामिल हुए रियल एस्टेट कारोबारी रंजीत सिंह गिल के घर और दफ्तर पर पंजाब विजिलेंस ब्यूरो द्वारा की गई रेड पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कानून अपना काम करेगा और इसमें किसी प्रकार की दखलअंदाजी नहीं होगी.
पूर्व कांग्रेस सरकार के समय स्थापित की गई गुरु गोबिंद सिंह स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी, जो लंबे समय से बंद पड़ी है, उस पर बोलते हुए सीएम मान ने कहा कि पिछली सरकार द्वारा अधूरी छोड़ी गई इमारतों का वर्तमान सरकार उचित उपयोग कर रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा लगाए गए राजनीतिक बदले के आरोपों पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें कोई राजनीतिक दुर्भावना नहीं है. साथ ही उन्होंने बताया कि चमकौर साहिब में 50 बिस्तरों वाला अस्पताल पूरी तरह तैयार है और जल्द ही जनता के लिए खोला जाएगा.
गुरुद्वारा कतलगढ़ साहिब सिख इतिहास का एक अत्यंत पवित्र और वीरता से भरा स्थल है. वर्ष 1704 में हुए चमकौर के युद्ध में दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने दो बड़े साहिबजादों, साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा झुजार सिंह. तथा चंद सिखों के साथ मिलकर मुगलों की विशाल सेना से बहादुरी से लोहा लिया था.
यह गुरुद्वारा उस स्थल को दर्शाता है जहाँ दोनों साहिबजादे शहीद हुए थे. 'कतलगढ़' शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'वध का किला', जो उस समय की भीषण लड़ाई और सर्वोच्च बलिदान को याद दिलाता है.
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