पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आज देश के बड़े उद्योगपतियों के सामने पंजाब को “अवसरों की भूमि” के रूप में पेश किया। यह मौका एक बड़े सीईओ सम्मेलन का था, जिसमें उद्योगपतियों से मिली राय को राज्य की आर्थिक नीतियां बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा।
सम्मेलन में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि तीन साल पहले पंजाब नशे की गंभीर समस्या से जूझ रहा था और उद्योग का विकास रुक गया था। मौजूदा सरकार ने नशा खत्म करने के लिए तेज अभियान चलाया है। अब लोग खुलकर नशा तस्करों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, और शिकायतों के आधार पर 3,500 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई हैं। इसके कारण अपराध कम हुए हैं।
उन्होंने बताया कि 2008-09 में कुछ राजनीतिक नेताओं के संरक्षण में नशा फैलाया गया था। अब बड़े अपराधियों को जेल भेजा गया है और स्वास्थ्य व शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने घोषणा की कि अगले छह महीनों में पंजाब के सभी 166 शहरों और कस्बों का बुनियादी ढांचा बदला जाएगा। सात बड़े शहरों की मुख्य सड़कें यूरोपीय स्तर पर बनेंगी, गांवों में नई सड़कें और स्टेडियम बनेंगे।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि पिछली सरकारों की खराब नीतियों के कारण उद्योग पंजाब से बाहर चले गए थे। अब उनकी सरकार ईमानदारी से उद्योगों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने बताया कि मार्च 2022 से अब तक 1.14 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिनसे 4.5 लाख से ज्यादा रोजगार बनेंगे। उन्होंने टाटा स्टील और सनातन टेक्सटाइल जैसी बड़ी कंपनियों के पंजाब में निवेश की भी जानकारी दी।
दोनों नेताओं ने उद्योगपतियों से अपील की कि वे सिर्फ पैसा ही नहीं, बल्कि दिल और आत्मा से पंजाब के विकास में योगदान दें। सम्मेलन में मनीष सिसोदिया ने कहा कि सपनों का पंजाब बनाने के लिए सरकार, उद्योग और शिक्षा संस्थानों का मिलकर काम करना जरूरी है।
कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य अशोक मित्तल, उद्योग सचिव के.के. यादव और कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
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