पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार ने केंद्र सरकार से धान खरीद के नियमों में छूट देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य की एजेंसियों को ऐसी फसल उठाने की अनुमति दी जाए, जिसमें नमी की मात्रा 20 प्रतिशत तक हो। मान का कहना है कि इस कदम से बाढ़ और भारी बारिश से प्रभावित किसानों को राहत मिलेगी, जिनकी फसल खराब हो चुकी है।
मुख्यमंत्री ने बस्सी पठाना की एक अनाज मंडी में अचानक पहुंचकर खरीद प्रक्रिया का निरीक्षण किया। वहां उन्होंने अधिकारियों से बातचीत की और किसानों की समस्याएं सुनीं। यह दौरा उस समय हुआ जब कुछ दिन पहले केंद्र की एक टीम ने पंजाब के बाढ़ और बारिश से प्रभावित इलाकों का सर्वे पूरा किया था, जहां पैदावार में गिरावट और धान की गुणवत्ता में कमी आई है।
भगवंत मान ने पिछले महीने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर बाढ़ प्रभावित धान की खरीद के मानकों में राहत देने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि राज्य के किसान पहले से ही मौसम की मार झेल रहे हैं, इसलिए केंद्र को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजाब इस बार भी केंद्रीय खाद्य भंडार में 170 लाख मीट्रिक टन धान का योगदान करेगा। डिप्टी कमिश्नर सोना थिंद ने उन्हें मंडियों में चल रही खरीद प्रक्रिया की जानकारी दी। मान ने बताया कि अब तक राज्य में 1,822 खरीद केंद्र सक्रिय किए गए हैं और 63.49 लाख मीट्रिक टन धान मंडियों में पहुंच चुकी है। इनमें से 61.01 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि किसानों को अब तक 13,073 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
रोपड़ की एक अनाज मंडी में मान ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने बाढ़ राहत के 1,600 करोड़ रुपये जारी करने में देरी की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद राहत राशि की घोषणा की थी, लेकिन अब तक पैसा नहीं मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब देश की खाद्य जरूरतों का 40 प्रतिशत हिस्सा पूरा करता है, इसलिए किसानों को राहत देना केंद्र की जिम्मेदारी है।
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