पंजाब की सरज़मीं एक बार फिर गद्दारी की गूंज से हिल उठी है! तरनतारन जिले का रहने वाला गगनदीप सिंह उर्फ गगन देश की आर्मी मूवमेंट, तैनाती और संवेदनशील मिशन की जानकारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और खालिस्तानी एजेंट गोपाल सिंह चावला को बेचता हुआ रंगे हाथों पकड़ा गया है.
ये वही वक्त था जब पूरा देश 'ऑपरेशन सिंदूर' की आंच में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में जुटा था- और तभी इस गद्दार ने पीठ में खंजर घोंपने की कोशिश की. पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने खुलासा किया कि काउंटर इंटेलिजेंस को इनपुट मिला था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना की गतिविधियों की बेहद गोपनीय जानकारी लीक हो रही है. जैसे ही तरनतारन पुलिस ने कार्रवाई की, पूरा भांडा फूट गया!
गगनदीप के मोबाइल से जो बरामद हुआ वो किसी धमाके से कम नहीं था. सेना की मूवमेंट, रणनीतिक लोकेशन, और क्लासिफाइड डेटा - सब कुछ पाक एजेंसियों तक पहुंचाया जा चुका था. पूछताछ में गगनदीप ने कुबूल किया कि वो पिछले पांच सालों से गोपाल सिंह चावला के संपर्क में था. चावला के जरिए उसे ISI एजेंट्स से मिलवाया गया और भारतीय बैंकिंग चैनल्स के ज़रिए पैसे भी ट्रांसफर किए गए.
चौंकाने वाली बात ये है कि उसने खुद को ‘देशभक्त’ बताने वाले नकाब में इतने साल तक छिपा रखा था, लेकिन सच्चाई ये थी कि वो दुश्मन देश की आंख-कान बन चुका था. अब तरनतारन पुलिस ने उसके खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया है और जांच उसके नेटवर्क को खंगालने में जुट गई हैं.
सवाल उठता है – ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील दौर में ऐसे गद्दार कैसे पनप जाते हैं? कौन हैं इनके संरक्षक? और कब तक हमारी सेना की जानकारियां बिकती रहेंगी? पंजाब पुलिस की ये कार्रवाई काबिल-ए-तारीफ है, लेकिन अब वक्त आ गया है कि ऐसे गद्दारों को सिर्फ जेल नहीं, नज़ीर बनने वाली सज़ा मिले!