दिल्ली में सर्दी बढ़ने के साथ ही प्रदूषण का स्तर लगातार खराब होता जा रहा है। हवा जहरीली हो चुकी है और सांस लेना मुश्किल हो रहा है। इसी समस्या से निपटने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार ने एक आधुनिक उपाय अपनाने का फैसला किया है आर्टिफिशियल बारिश। आज दिल्ली में इस तकनीक का ट्रायल किया जाएगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह तरीका प्रदूषण कम करने में कितना असरदार है।
दिल्ली में यह प्रयोग आईआईटी कानपुर की मदद से किया जा रहा है। इसके तहत कानपुर से एक विशेष विमान दिल्ली पहुंचेगा, जो आसमान में जाकर बादलों में रसायन छोड़ेगा। इस प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग कहा जाता है।
सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide)
सोडियम क्लोराइड (Sodium Chloride)
ये रसायन बादलों में मिलकर पानी की बूंदें बनने में मदद करते हैं। जब बादलों में पर्याप्त नमी होती है, तो ये बूंदें बारिश के रूप में नीचे गिरती हैं। आज यह ट्रायल नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली के इलाके में किया जाएगा।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया है कि 28 से 30 अक्टूबर के बीच दिल्ली में बादल बनने की संभावना है। अगर शाम तक बादल पर्याप्त घने हो गए, तो आज ही पहली आर्टिफिशियल बारिश हो सकती है। पिछले हफ्ते भी बुराड़ी के ऊपर एक टेस्ट फ्लाइट से थोड़ा क्लाउड सीडिंग एजेंट छोड़ा गया था, लेकिन पर्याप्त नमी न होने के कारण बारिश नहीं हो सकी थी। अब मौसम अनुकूल होने की संभावना ज्यादा है।
दिल्ली में सर्दियों के दौरान प्रदूषण सबसे ज्यादा बढ़ जाता है। धूल, धुआं और स्मॉग मिलकर हवा की गुणवत्ता (AQI) को बेहद खराब बना देते हैं। ऐसे में आर्टिफिशियल बारिश से धूल और प्रदूषक जमीन पर बैठ जाते हैं, जिससे हवा साफ हो जाती है और विजिबिलिटी बढ़ती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह तरीका कुछ दिनों के लिए प्रदूषण का स्तर घटा सकता है, जिससे लोगों को सांस लेने में राहत मिलेगी।
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