प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए की ओर से प्रचार तेज है और चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पुरानी राजनीति पर कठिन आरोप लगाते हुए महागठबंधन को निशाने पर लिया. शनिवार (8 नवंबर) को बनमनखी, पूर्णिया में हुई रैली में अमित शाह ने महागठबंधन और खासकर आरजेडी व कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा कि ये लोग फिर से “जंगलराज” लौटाने की कोशिश कर रहे हैं और बिहार की जमीन से घुसपैठियों को हटाना उनकी प्राथमिकता होगी.
अमित शाह ने सबसे पहले कहा कि बिहार के पहले चरण में रिकॉर्ड मतदान हुआ और अब दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को मतदान होना है. उन्होंने आश्वासन दिया कि एनडीए 160 से ज्यादा सीटों के साथ सरकार बनाएगा और बिहार को विकास की राह पर आगे बढ़ाएगा. वहीं उन्होंने महागठबंधन को “बिखरा हुआ ठगबंधन” कहा और खुद एनडीए को “पांच पांडवों” से जोड़कर पेश किया — इसका मतलब साफ था कि एनडीए संगठित और मजबूती से चुनाव लड़ रहा है.
रैली में अमित शाह ने घुसपैठ का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया. उन्होंने राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की “घुसपैठिया बचाओ” यात्रा का ज़िक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग सीमांचल को घुसपैठियों का अड्डा बनाना चाहते हैं. शाह ने कहा, “ये घुसपैठिए हमारे युवाओं की नौकरी छीन रहे हैं, गरीबों के राशन में हिस्सेदारी कर रहे हैं और देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि सीमांचल से घुसपैठियों को निकालने के साथ जिन भू-अतिक्रमणों को किया गया है, उन्हें भी हटाया जाएगा.
अमित शाह ने महागठबंधन पर पुराने समय की राजनीति वापस लाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि लालू-राबड़ी के राज में दिनदहाड़े हत्याएं, लूट-खसोट और अपहरण आम बात थी. शाह ने चेतावनी दी कि जंगलराज अब बदले हुए रूप में लौटने की कोशिश कर रहा है — इसलिए लोगों का एक-एक वोट महत्वपूर्ण है. “आपका एक बटन जंगलराज को आने से रोक सकता है,” उन्होंने कहा.
शाह ने सिवान के संदर्भ में शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा का नाम लेकर आरोप लगाया कि आरजेडी ने उन्हें टिकट दिया है. उन्होंने कहा कि सिवान और बिहार की जमीन पर शहाबुद्दीन जैसे लोगों की जगह नहीं रहेगी. यह बयान साफ-साफ राजनीतिक रंजिश और सुरक्षा चिंताओं को घेरता दिखा.
भाषण के दौरान अमित शाह ने बिहार के विकास का एजेंडा भी गिनाया और कहा कि मोदी व नीतीश के नेतृत्व में राज्य विकास की ओर बढ़ रहा है. उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे बड़ी संख्या में मतदान करें और “विकास की राजनीति” को समर्थन दें ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे.