अफगानिस्तान के उत्तरी हिस्से में आए भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचा दी है। रविवार को आए इस भूकंप में अब तक कम से कम 1,400 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और 3,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी हैं, लेकिन हजारों लोग मलबे में दबे होने की आशंका है, जिससे मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।
तालिबान सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, घायलों को अस्पतालों में पहुंचाया जा रहा है, इसलिए आंकड़ों में बदलाव हो सकता है। अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी का कहना है कि अब तक 1,124 मौतें दर्ज की गई हैं, 3,251 लोग घायल हैं और करीब 8,000 घर पूरी तरह से ढह गए हैं।
यह 6.0 तीव्रता का भूकंप रविवार देर रात कई प्रांतों में आया। मिट्टी और लकड़ी से बने मकान झटकों को सहन नहीं कर सके और पलभर में मलबे में तब्दील हो गए। इसके बाद कई झटके और महसूस किए गए।
सबसे अधिक तबाही कुनार प्रांत में हुई है। यहां लोग पहाड़ी घाटियों और नदियों के किनारे बसे गांवों में रहते हैं, जिससे स्थिति और खराब हो गई। कुनार के चार गांवों में बचाव अभियान चलाया गया है और अब दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में टीमों को भेजा जा रहा है। अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र जलालाबाद से 27 किलोमीटर दूर और पृथ्वी की सतह से 8 किलोमीटर गहराई में था।
स्थानीय लोग भी राहत कार्य में जुटे हैं। वे अपने हाथों से मलबा हटाकर लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं। कई जगहों पर सड़कों पर भूस्खलन हो गया था, जिन्हें दोबारा खोला गया है। हेलीकॉप्टरों से घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। वहीं, राहत एजेंसियों की टीमें पैदल दूरदराज के इलाकों तक पहुंच रही हैं।
अफगानिस्तान की इस त्रासदी पर दुनिया भर से मदद के हाथ बढ़े हैं। ब्रिटेन ने 1 मिलियन पाउंड (करीब 1.3 मिलियन डॉलर) की आपात राहत देने का वादा किया है। भारत ने भी अफगानिस्तान को 1,000 टेंट और 15 टन खाद्य सामग्री भेजी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सामग्री काबुल से कुनार तक पहुंचाई जा रही है। चीन समेत कई अन्य देशों ने भी सहायता देने की घोषणा की है।