दिल्ली में लाल किले के पास सोमवार शाम हुए भीषण कार बम धमाके ने पूरे देश को दहला दिया. इस धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा लोग घायल हुए. जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, सुराग हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश तक पहुंच गए हैं.
फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी अब इस पूरे मामले में शक के घेरे में है. इस यूनिवर्सिटी से जुड़े चार डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय की फंडिंग और वित्तीय लेन-देन की जांच के आदेश दिए हैं. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को निर्देश दिया है कि विश्वविद्यालय को मिले पैसों के स्रोत और विदेशी फंडिंग की गहन जांच की जाए. माना जा रहा है कि इसी यूनिवर्सिटी में लाल किला कार ब्लास्ट की साजिश रची गई थी.
जांच एजेंसियों का कहना है कि चारों डॉक्टरों, डॉ. मुजम्मिल गनई, डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. शाहीन सईद और डॉ. उमर नबी ने मिलकर 26 लाख रुपये से अधिक की नकद राशि जुटाई थी. यह पैसा विस्फोटक सामग्री खरीदने में इस्तेमाल किया गया. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा निवासी डॉ. उमर, जो फरीदाबाद की यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर थे, वही कार चला रहे थे जिसमें लाल किले के पास विस्फोट हुआ.
जांच में पता चला है कि आरोपियों ने गुरुग्राम और नूंह से करीब 26 क्विंटल एनपीके खाद और अन्य रासायनिक पदार्थ खरीदे थे. इनका उपयोग IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) तैयार करने में किया गया. यह खरीदारी अब जांच का अहम हिस्सा बन गई है. पुलिस इन खरीद रिकॉर्ड और बैंक ट्रांजेक्शन की पूरी जांच कर रही है.
सूत्रों के अनुसार, विस्फोट से कुछ दिन पहले उमर और मुजम्मिल के बीच पैसे के लेन-देन को लेकर मतभेद हुआ था. एजेंसियां अब यह जांच कर रही हैं कि क्या इसी विवाद ने हमले के समय या साजिश की योजना को प्रभावित किया.
जांच अब हरियाणा, यूपी और जम्मू-कश्मीर तक फैल चुकी है. फॉरेंसिक टीमें विस्फोटक की डिजाइन और डिजिटल चैट डेटा खंगाल रही हैं. इंटेलिजेंस एजेंसियां संभावित लोकल नेटवर्क और फंडिंग रूट्स को ट्रैक कर रही हैं.