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Waqf Bill: वक्फ बिल के समर्थन पर JDU-LJP का विरोध हुआ, फिर भी बिहार चुनावों में NDA को चिंता नहीं क्यों?

बिहार चुनाव 2025: पटना में वक्फ पर विरोध प्रदर्शन के बावजूद, नीतीश कुमार और चिराग पासवान निश्चिंत हैं कि इसका ज्यादा असर नहीं होगा, जानिए क्यों।

👤 Samachaar Desk 05 Apr 2025 12:48 AM

बिहार चुनाव 2025 और वक्फ बिल पर सियासी घमासान

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले वक्फ संशोधन बिल को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है। मोदी सरकार द्वारा इस बिल को पास कराने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि केंद्र सरकार किसी दबाव में काम नहीं कर रही, बल्कि एक मजबूत सरकार के रूप में कार्य कर रही है। संसद के दोनों सदनों में भारी बहुमत से पारित इस बिल को पास कराने में भाजपा के अलावा एनडीए सहयोगी दलों जैसे जेडीयू (नीतीश कुमार), टीडीपी (चंद्रबाबू नायडू) और एलजेपी (चिराग पासवान) की भी अहम भूमिका रही।

अब इस बिल की असली परीक्षा बिहार में होने वाली है, क्योंकि बिहार का एक बड़ा मुस्लिम समुदाय इसका विरोध कर रहा है और राजद (RJD) को इसे अपने पक्ष में करने का एक सुनहरा मौका दिख रहा है। हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या वाकई यह विरोध आगामी चुनावों में एनडीए को नुकसान पहुंचाएगा, या यह सिर्फ एक राजनीतिक हवा है?

मुस्लिम समुदाय का असंतोष और चुनावी रणनीति

वक्फ संशोधन बिल को लेकर बिहार में कुछ मुस्लिम संगठन खुलकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कई मुस्लिम नेता यह बयान दे रहे हैं कि वे आगामी चुनावों में जेडीयू और एलजेपी को सबक सिखाएंगे। दूसरी ओर, विपक्षी पार्टी आरजेडी इसे एक बड़े मौके के रूप में देख रही है। वह मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए नीतीश कुमार को भाजपा और आरएसएस के करीबी के रूप में दिखा रही है। आरजेडी नेताओं ने नीतीश कुमार को "गिरगिट से ज्यादा रंग बदलने वाला" करार देते हुए कहा कि वे सत्ता में बने रहने के लिए किसी भी विचारधारा का समर्थन कर सकते हैं।

जेडीयू का पलटवार

इस पूरे मामले में जेडीयू ने भी आक्रामक रुख अपनाया है। पार्टी ने अपने कार्यालय के बाहर पोस्टर लगाकर आरजेडी और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। जेडीयू नेता मोहम्मद आयान सोहेल ने पार्टी के इस फैसले का खुलकर बचाव किया और कहा कि यह बिल पसमांदा मुस्लिमों के हित में है।

बिहार में एनडीए को नुकसान का डर क्यों नहीं?

पटना समेत कई जगहों पर वक्फ बिल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार और चिराग पासवान को कोई खास चिंता नहीं है। इसके पीछे कई कारण हैं—

बिहार में मुस्लिम जनसंख्या और उनका वोटिंग पैटर्न:

बिहार की कुल जनसंख्या का लगभग 18% हिस्सा मुस्लिम समुदाय से आता है। लेकिन इनमें से अधिकतर पसमांदा (पिछड़ा वर्ग) मुस्लिम हैं, जिन्हें इस बिल से फायदा मिलने की उम्मीद है।

मुस्लिम वोटों का NDA पर कम प्रभाव:

पिछले कुछ चुनावों में एनडीए को मुस्लिम वोट बहुत कम (10% से भी कम) मिले हैं। इसका मतलब यह है कि मुस्लिम वोटों का झुकाव पहले से ही आरजेडी और उसके गठबंधन की ओर ज्यादा रहा है।

पसमांदा मुस्लिमों का समर्थन:

अगर वक्फ संशोधन बिल से पसमांदा मुस्लिमों को अधिक अवसर मिलते हैं, तो यह संभव है कि उनका झुकाव एनडीए की ओर बढ़े। इससे विपक्ष को बड़ा झटका लग सकता है।