केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के भारी हंगामे और नारेबाजी के बीच तीन अहम विधेयक पेश किए. इन विधेयकों के अनुसार, अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री पर किसी गंभीर अपराध का आरोप साबित होता है और उन्हें 30 दिनों तक जेल की सजा होती है, तो उन्हें उनके पद से हटाया जा सकेगा. जैसे ही अमित शाह ने बिल पेश किया, विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया और बिल फाड़कर गृह मंत्री की ओर उछाल दीं.
लोकसभा में पेश किए गए तीनों विधेयक हैं,
1. संविधान (130वां संशोधन) विधेयक
2. केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक
3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक
इन बिलों के विरोध में विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया और उन्हें वापस लेने की मांग की. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसदों के व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि बिल की कॉपी फाड़ना संसदीय परंपरा के खिलाफ है.
विवाद के दौरान कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये विधेयक संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि जब वह गुजरात के गृह मंत्री थे और गिरफ्तार हुए थे, तब क्या उन्होंने नैतिकता का पालन किया था? इसके जवाब में शाह ने कहा कि उन्होंने गिरफ्तारी से पहले ही मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और अदालत से बरी होने तक कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला था.
जैसे-जैसे सदन में हंगामा बढ़ता गया, विपक्ष और सत्ताधारी दल के सांसदों के बीच धक्का-मुक्की भी देखने को मिली. स्थिति बिगड़ते ही तीन मार्शलों ने अमित शाह के चारों ओर सुरक्षा घेरा बना लिया. केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू और किरेन रिजिजू भी शाह के पास पहुंच गए. विपक्ष के असदुद्दीन ओवैसी, मनीष तिवारी, धर्मेंद्र यादव और अन्य सांसदों ने विधेयक लाने के तरीके पर आपत्ति जताई.
हंगामे के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह विधेयक जल्दबाजी में नहीं लाया गया है बल्कि इसे संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजा जाएगा. यह समिति दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनेगी और सभी पक्षों की राय लेकर बिल पर विचार करेगी.
लगातार नारेबाजी और हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी. पहले दो बार एसआईआर के मुद्दे पर और बाद में बिल के हंगामे के बीच कार्यवाही को पांच बजे तक स्थगित किया गया.
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