DPIFF 2025 : ओटीटी की दुनिया में जीतेंद्र कुमार का नाम आज किसी पहचान का मोहताज नहीं है. लोगों के दिलों में वे जीतू भैया” और सचिव जी” के नाम से बस चुके हैं. अपनी सादगी भरी एक्टिंग और गहराई वाले किरदारों से उन्होंने हर बार दर्शकों का दिल जीता है. अब एक बार फिर जीतेंद्र चर्चा में हैं, लेकिन इस बार वजह है उनका नया सम्मान - दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड 2025.
जीतेंद्र ने अपने करियर की शुरुआत डिजिटल प्लेटफॉर्म से की थी. कोटा फैक्ट्री के जीतू भैया” और पंचायत के सचिव जी” जैसे रोल्स ने उन्हें घर-घर में मशहूर कर दिया. उनके किरदारों में सादगी और असलियत झलकती है, जो आम लोगों से जुड़ाव बनाती है. यही वजह है कि उन्हें ओटीटी की दुनिया का "शाहरुख खान" भी कहा जाता है.
हाल ही में जीतेंद्र कुमार को पंचायत सीजन 3 में उनके शानदार अभिनय के लिए दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड (DPIFF) 2025 से सम्मानित किया गया है. उन्हें बेस्ट एक्टर इन वेब सीरीज” के तौर पर यह अवॉर्ड दिया गया है. जीतेंद्र के अभिनय की सादगी, संवादों की गहराई और ग्रामीण जीवन की सच्ची झलक ने दर्शकों के दिलों पर गहरी छाप छोड़ी है.
अक्सर लोग इस अवॉर्ड को भारत सरकार के सर्वोच्च फिल्म सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से जोड़ देते हैं, लेकिन दोनों में बड़ा अंतर है. दादा साहेब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड (DPIFF) की शुरुआत साल 2012 में हुई थी. इसका उद्देश्य भारतीय सिनेमा और ओटीटी की नई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना है. ये अवॉर्ड दादा साहेब फाल्के की याद में दिया जाता है, जिन्हें भारतीय सिनेमा का पितामाह कहा जाता है.
भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड देश का सबसे प्रतिष्ठित फिल्म पुरस्कार है. इसे 1969 में शुरू किया गया था और पहला सम्मान एक्ट्रेस देविका रानी को मिला था. यह अवॉर्ड फिल्म जगत में आजीवन योगदान देने वाले कलाकारों को दिया जाता है. अमिताभ बच्चन, रजनीकांत और आशा भोंसले जैसे कई दिग्गज इस सम्मान से नवाजे जा चुके हैं.
भले ही जीतेंद्र को जो अवॉर्ड मिला है, वह सरकारी दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड नहीं है, लेकिन यह उनके अभिनय की मेहनत और लोकप्रियता की बड़ी पहचान है. पंचायत सीजन 3 ने एक बार फिर साबित किया है कि सादगी से कही गई कहानी और ईमानदार अभिनय लोगों के दिलों में हमेशा जगह बना लेते हैं.
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