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अगर एक्टर न बन पाते तो क्या करते धर्मेंद्र? पहली कार से जुड़ी कहानी आपको हैरान कर देगी!

Dharmendra: धर्मेंद्र ने 1960 में डेब्यू किया और उसी समय 18,000 रुपये में पहली फिएट कार खरीदी. उन्होंने सोचा था कि अगर फिल्मों में काम न मिला तो इसे टैक्सी बनाकर गुजारा करेंगे. यह कार आज भी उनके पास सुरक्षित है.

👤 Samachaar Desk 15 Nov 2025 06:53 PM

Dharmendra: हिंदी सिनेमा के दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र आज जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंचने में उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा. फिल्मों में कदम रखने से पहले वे गैराज में काम करते थे और एक ड्रिलिंग फर्म में भी नौकरी की थी. साल 1960 में आई फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ ने उनके लिए नए रास्ते खोले और यहीं से उनका बॉलीवुड सफर शुरू हुआ. मेहनत और लगन ने उनका जीवन बदल दिया, लेकिन इस सफलता के पीछे उनकी सोच और समझदारी भी बड़ी वजह रही.

फिल्मों में शुरुआत के समय धर्मेंद्र पूरी तरह आश्वस्त नहीं थे कि वे लंबे समय तक इंडस्ट्री में टिक पाएंगे या नहीं. उन्होंने अपने छोटे भाई, दिवंगत अभिनेता अजीत सिंह देओल को बताया था कि अगर एक्टिंग में सफल नहीं हुए तो आगे क्या करेंगे. धर्मेंद्र के अनुसार उन्होंने शुरुआत से ही सोचा था कि किसी एक करियर पर पूरी तरह निर्भर रहना सही नहीं. इसलिए उन्होंने अपने भविष्य के लिए एक बैकअप प्लान तैयार रखा था.

क्यों खरीदी थी सिर्फ 18,000 की फिएट कार?

डेब्यू के उसी साल धर्मेंद्र ने अपनी पहली कार फिएट खरीदी थी. यह कार आज 65 साल बाद भी उनके पास सुरक्षित है. हालांकि उनके भाई को यह कार बिल्कुल पसंद नहीं आई थी और उन्होंने कहा था- पाजी, आप तो हीरो हैं… कोई बेहतर या कन्वर्टिबल कार ले लेते.

लेकिन धर्मेंद्र का जवाब इससे भी ज्यादा विचारशील था. उन्होंने कहा- अगर किसी दिन मुझे काम नहीं मिला तो क्या होगा? हालात खराब हुए तो मैं इस फिएट को टैक्सी बना लूंगा और गुजारा चल जाएगा. कम से कम मेरे पास यह सहारा तो रहेगा.

यह जवाब बताता है कि सफलता के पीछे उनकी दूरदर्शिता कितनी मजबूत थी. उस दौर में 18,000 रुपये बहुत बड़ी रकम थी, बावजूद इसके उन्होंने कार को अपनी जरूरत और भविष्य की सुरक्षा के आधार पर चुना.

धर्मेंद्र और उनकी फिएट: आज भी भावनाओं से जुड़ी गाड़ी

साल 2021 में धर्मेंद्र ने अपनी इस पहली कार का एक वीडियो शेयर किया था. वीडियो में उन्होंने कहा- दोस्तों, FIAT मेरी पहली कार थी. एक स्ट्रगल करने वाले इंसान के लिए यह भगवान का आशीर्वाद थी.

उन्होंने गर्व से बताया कि उन्होंने अपनी इस कार को हमेशा संभालकर रखा है। यह सिर्फ एक गाड़ी नहीं, बल्कि उनके संघर्ष और सफलता की याद है.