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Vrishchik Sankranti 2025 : जानें कब है वृश्चिक संक्रांति, क्या है शुभ मुहूर्त!

Vrishchik Sankranti 2025 : वृश्चिक संक्रांति 2025 16 नवंबर को है. इस दिन सूर्य देव की पूजा, स्नान और दान का विशेष महत्व है. पुण्यकाल और महापुण्यकाल में अर्घ्य देने से सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.

👤 Samachaar Desk 06 Nov 2025 07:32 PM

Vrishchik Sankranti 2025 : हिंदू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है, उस दिन को संक्रांति कहा जाता है. तुला राशि से निकलकर जब सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है. इस दिन सूर्य देव की पूजा, स्नान और दान का विशेष महत्व माना जाता है। वर्ष 2025 में वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर, रविवार को मनाई जाएगी.

Vrishchik Sankranti 2025 Shubh Muhrat : वृश्चिक संक्रांति 2025: शुभ मुहूर्त

संक्रांति के दिन पूजा, दान और स्नान का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है. पंचांग के अनुसार इस वर्ष के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

वृश्चिक संक्रांति का क्षण: 16 नवंबर, 2025 को दोपहर 01:45 बजे पुण्यकाल: सुबह 08:02 बजे से दोपहर 01:45 बजे तक (अवधि 5 घंटे 43 मिनट) महापुण्यकाल: दिन में 11:58 बजे से 01:45 बजे तक (अवधि 1 घंटा 47 मिनट)

इन समयों में पूजा और दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.

वृश्चिक संक्रांति का महत्व

वृश्चिक संक्रांति सूर्य देव की आराधना का दिन है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही पितरों को तर्पण देने और दान-पुण्य करने के लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है. सूर्य का यह गोचर जीवन में आत्मविश्वास, पद-प्रतिष्ठा और करियर पर सकारात्मक प्रभाव डालता है. इसे दान और सेवा का पर्व भी कहा गया है क्योंकि सूर्य जीवन में नई ऊर्जा का संचार करते हैं.

वृश्चिक संक्रांति पर सूर्य देव की पूजा विधि

संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र जल में स्नान करें. घर पर गंगाजल भी इस्तेमाल किया जा सकता है. साफ वस्त्र धारण करें और फिर एक तांबे के लोटे में जल लें. इसमें लाल चंदन, लाल फूल और गुड़ मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय मंत्रों जैसे “ॐ सूर्याय नमः” या “ॐ घृणि सूर्याय नमः” का जाप करें.

पूजा के दौरान धूप, दीप और लाल चंदन का उपयोग करें. ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’ का पाठ करना भी शुभ माना जाता है.

दान और पितृ तर्पण

संक्रांति के दिन जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, गुड़, तिल या अन्य सामग्री दान करें. गाय का दान विशेष उत्तम माना गया है. यदि संभव हो तो पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म भी करें. इससे जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.